Cover page of Roobaru Duniya Dec-Jan 2015 exclusive joint edition This is a special edition with 12 extra pages Cover Page by : Syed Aquil Aly Cover Story : गन्दगी का बोझ, किस पर कितना : स्वच्छता, एक विकल्प नहीं ज़िम्मेदारी By Mohit Sharma नव वर्ष विशेष – विभिन्न संस्कृतियों में नव वर्ष - Akanksha Yadav सत्य घटना – बिखरता बचपन - Shweta Jain Agrawal खेत से पेट तक – हरी खाद - Samarth Jain जंगल की पोटली – कितना कुछ सीखा जा सकता है वनवासियों से - Deepak Acharya एक विचार – पृथ्वी को जहरीली कर चले मंगल की ओर - Akash Soam नया वर्ष - एक नयी पहल – युवा भारत में इन विषयों पर एक विचार ज़रूरी है - Ankita Jain इंसाफ़ अभी बाक़ी है – नन्ही आँखों में खून के आँसू - भारती चंदवानी काला सच - वात्स्यायन का वर्जिन देश – Anamika Mishra डॉ कहते हैं – जाने क्या है कंप्यूटर विज़न सिंड्रोम - Ankit Jain मन बावरा – नकारात्मक भावों का सकारात्मक प्रेषक - Pooja Tilwani यंग इंडिया स्पीक्स – हम “लार्जर-देन-लाइफ” लोग - Rawman AJ (Ashutosh Agnihotri) ट्रेवल डायरी – रूपकुंड... वादियों में बसता है स्वर्ग - Amar Shukla किताबनामा – यथार्त और त्रासदी का राग, बखेडापुर (Hareprakash Upadhyay) - Suresh Kumar
यह पत्रिका भारत के समाचारपत्रों के पंजीयन कार्यालय (The Registrar of Newspapers for India, Govt of India) द्वारा पंजीयत है जिसका पंजीयन नंबर MPHIN/2012/45819 है। 'रूबरू' उर्दू भाषा का एक ऐसा शब्द जिससे हिंदी में कई शब्द जुड़े हैं, जैसे 'जानना', 'अवगत होना', 'पहचानना', 'अहसास होना' आदि, मौखिक रूप से इसका मतलब है कि अपने आस पास की चीजों को जानना जिनके बारे में हमे या तो पता नहीं होता, और पता होता भी है तो कुछ पूरी-अधूरी सी जानकारी के साथ | इसलिए रूबरू दुनिया का ख़याल हमारे ज़ेहन में आया क्योंकि हम एक ऐसी पत्रिका लोगों तक पहुँचाना चाहते हैं जो फिल्मजगत, राजनीति या खेल से हटकर असल भारत और अपने भारत से हमे रूबरू करा सके | जो युवाओं के मनोरंजन के साथ-साथ बुजुर्गों का ज्ञान भी बाटें, जो महिलाओं की महत्ता के साथ-साथ पुरुषों का सम्मान भी स्वीकारे, जो बच्चों को सीख दे और बड़ों को नए ज़माने को अपनाने के तरीक बताये, जो धर्म जाती व परम्पराओं के साथ-साथ विज्ञान की ऊँचाइयों से अवगत कराये और विज्ञान किस हद तक हमारी अपनी भारतीय संस्कृति से जुड़ा है ये भी बताये, जो छोटे से अनोखे गावों की कहानियां सुनाये और जो तेज़ी से बदलते शहरों की रफ़्तार बताये, जो शर्म हया से लेकर रोमांस महसूस कराये और जो हमें अपनी आधुनिक भारतीय संस्कृति से मिलाये | सिर्फ इतना ही नहीं इस मासिक पत्रिका के मुख्य तीन उद्देश्य "युवाओं को हिंदी और समाज से जोड़े रखना, समाज में व्याप्त बुराइयों को मिटाने के लिए जागरूकता फैलाने और उन्हें दूर करने में युवाओं की भूमिका को बनाये रखना, और नए लेखकों को एक प्लेटफार्म देना" के अलावा हिंदी साहित्य को संग्रहित व् सुरक्षित करने के साथ साथ एक ऊँचाई देना भी है | इस पत्रिका की मुख्य संपादक व प्रकाशक अंकिता जैन हैं |