प्रेम दिल (हृदय) में वास करने की चीज है लेकिन आजकल दलों में भी वास करने लगा है। दल अर्थात राजनीतिक दल। तभी तो अकसर राजनीतिक मंचों पर दलित प्रेम, मुस्लिम प्रेम, नौकरशाह प्रेम, पिछड़ा प्रेम, अगड़ा प्रेम देखने को मिलता रहता है। इस समय तो चुनावी माहौल भी है, ऐसे में दलों का ‘प्रेम’ ठांठे मारने लगा है। इसके इतर कभी-कभी ‘इश्क वाला लव’भी दिख जाता है और जब दिखता है तो क्या कयामत लाता है! तो आइए, बांचते हैं बसंत और वैलेंटाइन के इस मदमाते मौसम में अजब राजनीति की गजब प्रेम कहानियां...
''उदय सर्वोदय'' का दिसंबर-2016 इशू. नोटबंदी को अलग नज़रिए से देखने की कोशिश कैसी रही, हमें अपने विचार से जरुर अवगत कराएं.