अयोध्या के राम मंदिर का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर है. तमाम अलादीन चिराग लेकर उसके पीछे हैं. सियासतदान मंदिर राग अलापने लगे हैं और साधु-संत मंगलाचार गा रहे हैं. मीडिया धिन ताक धिक नाच रहा है, और जनता...यह राजनीतिक प्रहसन देख लहालोट है. ऐन चुनाव के वक्त यह तमाशा पांच साल में एक बार तो दिख ही जाता है. आइए, इस तमाशे के नेपथ्य और मंच का मुआयना करते हैं और मिलते हैं इसके अहम किरदारों से इस बार की आवरण कथा में.
समाचार पत्र-पत्रिकाओं (Paper-Magazine) की भीड़ से अलग बहुजन हित व सर्वोदय की आवाज़ उठाने की एक पहल.