जिन हाथों में रोजगार नहीं, उन हाथों के हिंसक होने की ज्यादा गुंजाइश होती है. हाल के दिनों में ऐसा बहुत देखने को मिला है. ये भीड़ की शक्ल में होते हैं और किसी पर भी अपनी भड़ास निकालने को आतुर होते हैं. उन्माद फैलाना, हिंसा करना ही इनका ‘रोजगार’ है. इनके पीछे एक पूरा तंत्र काम कर रहा होता है, जिनके अपने हित हैं. समाज में भीड़तंत्र और भीड़तंत्र के इसी समाजशास्त्र की पड़ताल करती ‘उदय सर्वोदय’ खास रिपोर्ट...
समाचार पत्र-पत्रिकाओं की भीड़ से अलग बहुजन हित व सर्वोदय की आवाज़ उठाने की एक पहल.