इस अंक में पढ़िए ज्ञान चतुर्वेदी की नई किताब 'स्वांग' पर ब्रजेश राजपूत की ख़ास समीक्षा। किताब के बारे में ब्रजेश बताते हैं कि उपन्यास में शुरुआत से चल रही ढेर सारी कथाओं को लेखक ने जिस तरह से आखिर में समेटा है वो सिर्फ ज्ञान चतुर्वेदी ही कर सकते हैं। यह सच है कि बुंदेलखंड ज्ञान चतुर्वेदी में बसता है और उनकी बुंदेली में ही बेजोड़ रंग जमता है।
युवा स्तंभकार और ब्रॉडकास्टर अमित राजपूत ने एक रिपोर्ताज—संग्रह तैयार किया है। पुस्तक का नाम 'कोरोनामा' है। यह किताब एक खास उपहार है समाज के लिए जो बुजुर्गों के होने के मायनों को समझेगा। यह पुस्तक पाठकों को सामाजिक आपातकाल में वृद्धजनों की सेवा, सहयोग और सम्मान के कुछ अप्रतिम उदाहरणों के बारे में बताती है।
रुत़्खेर ब्रेख़्तमान की चर्चित पुस्तक 'ह्यूमनकाइंड' मानव—जाति के आशावादी इतिहास पर चर्चा करती है। यह हमें एक बेहतर समाज विकसित करने के लिए परस्पर सहयोग में विश्वास करने, दयालु होने और एक—दूसरे पर भरोसा करने के लिए दार्शनिक और ऐतिहासिक आधार उपलब्ध कराती है।
प्रभात प्रकाशन अब अपने 63वें वर्ष में प्रवेश कर गया है। छह दशक के लंबे सफर से अबतक की यात्रा पर निदेशक पीयूष कुमार का दिलचस्प साक्षात्कार पढ़ें जिसमें उन्होंने प्रकाशन उद्योग के अलग—अलग पहलुओं पर चर्चा की है। उन्होंने हिंदी में इंटरनेट आदि के योगदान पर भी अपने विचार साझा किए।
अंक में मनीष भार्गव के पहले उपन्यास 'बेरंग लिफ़ाफे' की ख़ास चर्चा की गयी है। साथ में नई किताबों की चर्चा।
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