इस नए ज़माने की पत्रकारिता में ख़बर नहीं उसका ट्रीटमेंट बिकता है. पत्रकार का काम अब महज़ ख़बर को बताना नहीं बल्कि उसे बेचना भी हो गया है. और जो इस कला का माहिर खिलाड़ी है वही सबसे आगे है. इस कला में उसका हथियार लेखनी के बजाए अब कम्प्यूटर बन गया है.पत्रकारिता का उदय समाज में हो रही उन घटनाओं की जानकारी देने के मकसद से हुआ था जो अमूमन आम आदमी की पहुंच से दूर रहती थीं. देश ने आज़ादी की लड़ाई के दौरान इसका अच्छा उदाहरण देखा. फिर आज़ादी के बाद जिस तरह देश ने पिछले 6 दशकों में तरक्की हासिल की है, भारत में पत्रकारिता ने पिछले एक दशक में वही बुलंदी हासिल कर ली है.