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dusron se hatkar bane (दूसरों से हट कर बनो)
dusron se hatkar bane (दूसरों से हट कर बनो)

dusron se hatkar bane (दूसरों से हट कर बनो)

By: Vishv Books Private Limited
45.00

Single Issue

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About dusron se hatkar bane (दूसरों से हट कर बनो)

भीड़ पर नजर डालिए तो लगभग हर आदमी एक जैसा दिखाई देगा। इसी प्रकार किसी सभागृह में देखिए तो लगभग हर श्रोता एक जैसा दिखाई देगा। इस के विपरीत यदि भीड़ में नेता या सभागृह में वक्ता को देखें तो वह सब से अलग नजर आएगा। ऐसा क्यों?क्योंकि उस ने आम आदमी से हट कर, अपने अंदर कुछ विशिष्ट गुण विकसित किए हैं, जिस से उस का व्यक्तित्व आकर्षक एवं गरिमामय बन गया है। इसी कारण वह आम आदमी से हट कर अपनी पहचान बना सका है।क्या आप भी दूसरों से हट कर अपनी पहचान नहीं बनाना चाहेंगे? यदि ‘हां’ तो आज ही पढ़िए और पढ़ाइए प्रस्तुत पुस्तक ‘दूसरों से हट कर बनो’, जिस में जीवन के विभिन्न क्षेत्रें में व्यक्तित्व एवं गुणों के विकास के गुर बताए गए हैं, जिन पर अमल कर के आप भी दूसरों से हट कर कुछ बन सकते हैं।