इस उपन्यास में एक औरत के जीवंत कहानी को उकेरा गया है। इस उपन्यास की कुछ पंक्तियां इस प्रकार हैं ‘‘मनीषा को याद आ गया। जब छुईमुई का पौध हरा था। उसकी मां उस गमले के पास बैठी रहतीं और उसकी पत्तियां छूकर उसे एक टक देखती रहतीं। जब तक पत्तियां ठीक नहीं हो जाती वह देखती रहतीं। गीता जीजी जब मां को देख लेती तो अम्मा जी का हाथ पकड़कर वहां से ले जाती थी। वह रोज छुईमुई के गमले में पानी डालती थी।’’