एक तरफ है सूर्यगढ़ का ड्रग माफिया दिलावर सिंह दूसरी तरफ मुम्बई का भाई सलीम लुहार। इनकी खूनी गैंगवार के बीच आ फंसता है अभिषेक मिश्रा नाम का एक आम शख्श। बेहद तेजी से अभिषेक जुर्म की दुनिया में सफल होता चला जाता है और एक दिन सूर्यगढ़ का ड्रग-बादशाह बन जाता है। परन्तु जावेद-अमर-जॉन और सूर्यगढ़ का एस पी गौरव राठी को ये बात रास नहीं आती। ड्रग माफिया की दुनिया पर लिखा, रहस्य, रोमांच और राजधानी एक्सप्रेस की तेजी से चलने वाला, एक तूफानी उपन्यास।