प्रकृति के रचयिता ने अपनी समस्त चर अचर रचनाओं में अद्भुत कला का उपयोग किया है। किंतु मनुष्य उनमें सर्वोत्कृष्ट है जिसे काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार आदि शस्त्र प्राप्त हैं जिनका वह अपना-पराया, लाभ-हानि, भय-संकोच सॆ निर्लिप्त अपनी आवश्यक्ता तथा इच्छानुसार प्रयोग करता है।