हृदय के गूह्य भावों को प्रेरणा ने गति देकर शब्दों में परिवर्तित किया। उसी की निरीह, सच्ची प्रस्तुति ये कविताएँ है। जीवन का कलुश -कीच-दम्भ-अहंकार वासना-लिप्सा हटाने के पश्चात् जो कुछ शेष बचता है, शायद वह ‘प्रेम’- स्नेह जीवन माधुर्य, निरपेक्ष जीवन सत्य है। रचनाओं का संयोजन मौलिक है। जीवन में जो देखा, सुना, पढ़ा, समझा, महसूसा, उसकी छाया-प्रतिछाया अवश्य रही होगी, शून्य से रचना विचार शून्यता में सृजन कठिन है। लहर समुद्र की प्रकृति है। उसका स्वभाव, जो प्राकृतिक है, स्वाभाविक है वह श्रेष्ठ है। जो निर्मित है वह स्वभाव का विक्षेप है।