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Shunya
Shunya

Shunya "0"

By: Rigi Publication
70.00

Single Issue

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Single Issue

  • Sat Sep 04, 2021
  • Price : 70.00
  • Rigi Publication
  • Language - Hindi

About Shunya "0"

"जब से इस संसार की उत्पति हुई है ""शून्य"" का मानव जीवन में बहुत बड़ा महत्व रहा है। चाहे वो आर्यभट्ट के ""शून्य"" को खोजने की बात हो या इस संसार की बात हो हर जगह आपको ""शून्य"" किसी न किसी रूप में मिल जायेगा। हमारे सभी धार्मिक स्थानों के मुकट भी गोलाकार ही होते है जो इस बात को सिद्ध करते है कि भगवान को पाने के लिए आपको खुद शून्य होकर उस शून्य भगवान को पा सकते है। मानव इस दुनिया में ""शून्य"" के रूप में ही आया था और ""शून्य"" के रूप में ही इस संसार से चला जायेगा पर उसका जीवन तभी सफल है यदि वह इस ""शून्य"" का महत्व समझ कर अपने जीवन में परिवर्तन लाता है। संख्या में भी तो अकेला ""शून्य"" सभी पर भारी होता है क्योंकि किसी भी नंबर के साथ इसे लगा दिया जाये तो उसे दस, सौ, हजार आदि गुणा और बड़ा देता है। जीवन, मौत, सफलता, असफलता यह सभी इस ""शून्य"" के ही रूप है। कल्पना नारायण बारापात्रेे""जब से इस संसार की उत्पति हुई है ""शून्य"" का मानव जीवन में बहुत बड़ा महत्व रहा है। चाहे वो आर्यभट्ट के ""शून्य"" को खोजने की बात हो या इस संसार की बात हो हर जगह आपको ""शून्य"" किसी न किसी रूप में मिल जायेगा। हमारे सभी धार्मिक स्थानों के मुकट भी गोलाकार ही होते है जो इस बात को सिद्ध करते है कि भगवान को पाने के लिए आपको खुद शून्य होकर उस शून्य भगवान को पा सकते है। मानव इस दुनिया में ""शून्य"" के रूप में ही आया था और ""शून्य"" के रूप में ही इस संसार से चला जायेगा पर उसका जीवन तभी सफल है यदि वह इस ""शून्य"" का महत्व समझ कर अपने जीवन में परिवर्तन लाता है। संख्या में भी तो अकेला ""शून्य"" सभी पर भारी होता है क्योंकि किसी भी नंबर के साथ इसे लगा दिया जाये तो उसे दस, सौ, हजार आदि गुणा और बड़ा देता है। जीवन, मौत, सफलता, असफलता यह सभी इस ""शून्य"" के ही रूप है। कल्पना नारायण बारापात्रेे" "जब से इस संसार की उत्पति हुई है ""शून्य"" का मानव जीवन में बहुत बड़ा महत्व रहा है। चाहे वो आर्यभट्ट के ""शून्य"" को खोजने की बात हो या इस संसार की बात हो हर जगह आपको ""शून्य"" किसी न किसी रूप में मिल जायेगा। हमारे सभी धार्मिक स्थानों के मुकट भी गोलाकार ही होते है जो इस बात को सिद्ध करते है कि भगवान को पाने के लिए आपको खुद शून्य होकर उस शून्य भगवान को पा सकते है। मानव इस दुनिया में ""शून्य"" के रूप में ही आया था और ""शून्य"" के रूप में ही इस संसार से चला जायेगा पर उसका जीवन तभी सफल है यदि वह इस ""शून्य"" का महत्व समझ कर अपने जीवन में परिवर्तन लाता है। संख्या में भी तो अकेला ""शून्य"" सभी पर भारी होता है क्योंकि किसी भी नंबर के साथ इसे लगा दिया जाये तो उसे दस, सौ, हजार आदि गुणा और बड़ा देता है। जीवन, मौत, सफलता, असफलता यह सभी इस ""शून्य"" के ही रूप है। कल्पना नारायण बारापात्रेे" v"जब से इस संसार की उत्पति हुई है ""शून्य"" का मानव जीवन में बहुत बड़ा महत्व रहा है। चाहे वो आर्यभट्ट के ""शून्य"" को खोजने की बात हो या इस संसार की बात हो हर जगह आपको ""शून्य"" किसी न किसी रूप में मिल जायेगा। हमारे सभी धार्मिक स्थानों के मुकट भी गोलाकार ही होते है जो इस बात को सिद्ध करते है कि भगवान को पाने के लिए आपको खुद शून्य होकर उस शून्य भगवान को पा सकते है। मानव इस दुनिया में ""शून्य"" के रूप में ही आया था और ""शून्य"" के रूप में ही इस संसार से चला जायेगा पर उसका जीवन तभी सफल है यदि वह इस ""शून्य"" का महत्व समझ कर अपने जीवन में परिवर्तन लाता है। संख्या में भी तो अकेला ""शून्य"" सभी पर भारी होता है क्योंकि किसी भी नंबर के साथ इसे लगा दिया जाये तो उसे दस, सौ, हजार आदि गुणा और बड़ा देता है। जीवन, मौत, सफलता, असफलता यह सभी इस ""शून्य"" के ही रूप है। कल्पना नारायण बारापात्रेे"