राष्ट्रीय संत श्री चिन्मयानन्द बापू की प्रेरणा से, श्यामा गोल्याण जी द्वारा लिखित पुस्कत 'संस्कार सुमन' में छोटे - छोटे लेखों के माध्यम से, बच्चों और बुजुर्गों के प्रति कैसे व्यवहार होना चाहिए या कह लीजिए कि कैसे संस्कार होना चाहिए , यह बखूबी बताया गया है | श्यामा गोल्याण जी ने छोटे - छोटे लेखों के जरिये एक तंदरुस्त समाज का ढांचा बनाने का प्रयास किया है | उसमें आज के समाज में जो भी क्षतियां हो रही हैं, उसको दुरुस्त करने में बड़ी सहायता मिलेगी | - तरुण जे. जानी.