"इस काव्य संग्रह में मेरे विचारों की कविताय है द्| जो मानव ध्या को दर्शाकर प्रकृति के बारे में बताती है | जो माँ का आदर्श बच्चों का प्यार तथा देश के सिपाई की महिमा के साथ - साथ स्वच्छता अभियान का गुणगान करते छिकिज को छूने की अभिलाषा बताती है | यह काव्य संग्रह माहत्मा गाँधी, बाबासाहेब आंबेदकर तथा स्वामी विवेकानंद का भी गुणगान करती है | यह काव्य संग्रह जनहित को मनोरंजन कराती हुये ज्ञान प्रकृति कर्तव्य का बोध करती है | काव्य संग्रह मैंने विद्यालय में शिक्षिका का कार्य करते हुये इस काव्य संग्रह को आकार दिया है | यह काव्य संग्रह बच्चों - बड़ों सभी के लिए ज्ञान का सागर है | लेखिका कल्पना नारायण बारापात्रे"