प्रस्तुत कहानी संग्रह में सामाजिक विद्रूपताओं, मानवीय कुत्सित इच्छाओं तथा वर्जनाओं से विचलित होकर विभिन्न विषयों पर बहुत ही बेबाकी से लिखी गई कुल ग्यारह कहानियां हैं जिनमें लेखक ने व्यंग्य करते हुए मानवीय मूल्यों के निरंतर होते ह्रास की चिंता भी व्यक्त की है। समय,स्थान और साधन के अनुसार बदलते व्यक्ति के व्यवहार को निकटता से दर्शाया गया है।