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अंधविश्वास और रूढीवादियों की धारणा है कि बालक तो भगवान दे सै, निरभाग के तो लापा (मुखाग्नि) लगाणिया भी ना होता। छोटी उमर में बालकां के हाथ पीले करके मां बाप अनणा फर्ज से उरिण हो सके सैं। कोई करमहीण ही हो तो भगवान जाणै।