जब बैठते है हम खामोशियों में कुछ भूली कुछ बिसरी उलझी यादों में तब मन में लहरें उठती हैं कुछ कहने को कुछ व्यक्त करने को ये शब्द ढूढा करती हैं तब कुछ अल्फाज कलम से निकलते हैं कुछ गीत बनकर कुछ गजल बनकर गुनगुनाते हैं कुछ मुस्कुराहटों को तो कुछ आंसू लिए ये गीत मैं प्रस्तुत करती हूँ कुछ शब्द मैं व्यक्त करती हूँ