जब कभी भगवान की कथा सुनते-सुनते, तुम्हारा हृदय द्रवित होने लग जाए, आँखों से अश्रुपात होने लग जाए, तब समझना प्रेम का प्याला किसी सन्त की कृपा से तुम्हारे भीतर जा रहा है। कभी आप ध्यान में बैठे हों, पूजा में बैठे हों, अकारण, अनायास आप रोमांचित हो जाओ, आँखों में आँसू आ जाएँ, तब समझना तुम्हारे गुरुदेव ने चैतन्य रूप से तुम्हें स्पर्ष कर लिया और तुम्हारा प्रेम द्रवित हो गया।