सत्य और संघर्ष काल और देश के सापेक्ष होता है, सत्य को आधार की आवश्यता नहीं किन्तु संघर्ष को है। सत्य जैसा अन्य कुछ नहीं। सत्य; संघर्ष का दयोतक है, प्रभाव का नहीं। सत्य; विश्वास; जीत का। विश्वास; चेतना का। सत्य के संघर्ष ने इतिहास की धारा को बदला और राष्ट्र को पुर्नजीवित किया। सत्य के इन्ही क्षणों की साक्षी है अनन्या।