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Lafzon Ke Darmiyaan
Lafzon Ke Darmiyaan
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About Lafzon Ke Darmiyaan

हर कवि के लिए किसी कविता की शुरुआत एक आदत से होती है। आदत हर घटना, हर गुफ़्तुगु को शब्दों में पिरो कर काग़ज़ पर उतारने की और एक धीरे-धीरे बढ़ते हुए विश्वास की, कि शायद यह अहसास जो मुझे महसूस हुए दूसरों को भी आकर्षित करे। इस तरह से मेरे अल्फ़ाज़ आप तक पहुँच गए। कविताएँ हमारे शब्दों को प्रेरणा और हालातों से जोड़ कर एक बम की तरह ज़हन में फूटती है। हर एक शब्द सही है या ग़लत, यह आप पढ़ते हुए तय करेंगे पर इस कलाम को लिखते वक़्त जो रूहानी अहसास होते हैं वो आपके अंदर का कवि ही पहचान पाएगा। क्यूँकि वह इस किताब के भी पार है। किताब और शब्द तो एक माध्यम और कोशिश है। -- मुंबई की IT प्रोफ़ेशनल, युवा हिन्दी लेखिका शबनम खानम हिन्दी, उर्दू और इंग्लिश में कविताएँ और कहानियाँ लिखती हैं। शबनम जी कई कम्पनियों में सूचना प्रौद्योगिकी (IT) प्रोफ़ेशनल के तौर पर जुडी रही हैं। इस समय शबनम जी मुंबई में रहती हैं।