प्रस्तुत किताब एक प्रयास है सामाजिक और राजनैतिक विसंगतियों को प्रकाशित करने का! हमारे समाज और राजनीति में इतनी अतिश्योक्तियाँ हैं कि हम उन्हें, "चलता है!" कहकर दरकिनार कर देते हैं और इसी दरकिनारी का नतीजा है कि भारत हर स्तर पर किसी न किसी परेशानी से जूझ रहा है चाहे वो सांप्रदायिक विद्वेष हो या फिर आतंकवाद हो, ये हमारे ‘‘चलता है‘‘ के रवैय्ये के कारण हुआ है! इस पुस्तक से लेखक ने ऐसी ही चीजों को प्रकाशित किया है जसे अगर हम सामाजिक तौर ठीक कर लें तो ये राजनैतिक विसंगतियाँ समाप्त हो जायेंगी और भारत पुनः सोने की चिड़िया बन जाएगा.