कविता संग्रह "अंकुरण" हिंदी के उभरते युवा लेखक और कवि विजय मिश्र ‘स्वतन्त्र’ की पहली क़िताब है | अंकुरण में वो कविताएँ शामिल की गयी हैं जो किसी भी प्रक्रिया को उसकी उत्पत्ति से हमें परिचय कराती हैं | जो भी इस पृथ्वी पर विद्यमान है, उसका विकास इसी अनुसार हुआ है कि वह एक समय अंकुरित यानि एक छोटे रूप से समय के साथ बड़ा हुआ है | ----- Call Us - 70-17993445