लफ़्ज़ों में हृदय के जज़्बात उकेरा करती हूँ। पन्नों पर जीवन के हालात बिखेरा करती हूँ।। बेहिसाब मोड़ आते रहते हैं हयात-ए-सफ़र में। शम्स-ए-किरण हूँ, हर राह में सवेरा करती हूँ ।। "अल्फ़ाज़े बयां" एक काव्य कोष है, जिसे हिंदी लेखिका ज्योति किरण ने लिखा है| उन्होंने इस क़िताब में शब्दों के ज़रिये बहुत कुछ कहा है| कहीं वह प्रेम की बात करतीं है तो कहीं उन व्याकुल नैनों जो आज भी अपने महबूब की याद में सूखे जाते हैं| कहीं वह नारी के अस्तित्व की कहानी कहती दिखाई पड़तीं हैं, जिसमें उनकी कलम ने ख़ुद उनका एक औरत होना और उस औरत के नज़रिए से ज़माने को देखना बहुत सलीके से उकेरा है|