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Akela Chand
Akela Chand

About Akela Chand

ये कविताएँ आज के तकनीकि युग में फँसे आदमी के एकाकीपन और प्रकृति के साथ उसके अलगाव को बखूबी बयां करती हैं। पुस्तक की कई प्रेरणात्मक कविताओं में से दो विशेष कविताएँ ‘आज मातम मत मनाना’ और ‘सैलाब-ए-ग़म छुप जाओ कलेजे में’ एक आदमी को जीवन के कठिन समय में हिम्मत न हारने की सीख सशक्त शब्दों में देती हैं। इसी प्रकार ‘मेरे मन के राम’ और ‘दीप समान पिया’ जैसी कविताएँ हिन्दी साहित्य के स्वर्णकाल भक्तिकाल को एक छोटी सी भावभीनी श्रद्धांजलि हैं, इनमें आपको भक्ति और अध्यात्म की पावन अनुभूति सरल शब्दों में कराने का एक छोटा सा प्रयास किया गया है। इसके अलावा कई कविताएँ प्रेम और सामाजिक विषयों पर भी हैं। ये कविताएँ अपने स्वरूप और शैली में इस प्रकार लिखी गई हैं कि ये देखते ही देखते आपकी जुबान पर चढ़ जाती हैं। -- मध्य प्रदेश सरकार के वन विभाग में कार्यरत, युवा हिन्दी लेखक ऋषभ शर्मा ग्वालियर, मध्यप्रदेश से ताल्लुक रखते हैं। इन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा जिला भिंड से एवं स्नातक की शिक्षा जीवाजी यूनिवर्सिटी, ग्वालियर से प्राप्त की है। पिता श्री कृष्ण कुमार शर्मा पेशे से शिक्षक हैं एवं माता श्रीमती संगीता शर्मा गृहणी। बचपन से ही हिन्दी साहित्य में विशेष रूचि होने के कारण बारह वर्ष की आयु से ही काव्य लेखन शुरू कर दिया था।