यार ऐसा क्या किया है के हंगामा.हो गया। इस अमावस की निशा में कारनामा हो गया। किस तरह का दीप जलता आज देहरी में रखा, दिल तिमिर का बैठ करके पूर्ण-कामा हो गया। कल तलक के वस्त्र पहने आज प्यारे छोड़ दो, अब सभी के पास में तो पायजामा हो गया। रौशनी इस बार की सच्ची नही लगती मग़र, झूठ भी कैसे कहें जब हलफनामा हो गया। किस कदर अंग्रेजियत का भूत सर में है चढा, कृष्ण-कृष्णा हो गया है राम-रामा हो गया। क्या करोगे बोलकर के रात आधी है बची, आज के निस्बत भी वैसे खूब ड्रामा हो गया। हाथ ख़ाली चल पड़े हैं यार से मिलने 'अनुज" कृष्ण शायद न मिलें पर मन सुदामा हो गया