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Piper-Ek Bansuriwala
Piper-Ek Bansuriwala

Piper-Ek Bansuriwala

By: Powerpublishers
330.00

Single Issue

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Single Issue

  • Sat Jul 30, 2016
  • Price : 330.00
  • Powerpublishers
  • Language - Hindi

About Piper-Ek Bansuriwala

जब इस धरती का निर्माण हुआ तो कई देवता इस बात को लेकर परेशान थे कि क्या वाक़ई में अनंत सालों तक ये धरती वैसी ही रहेगी जिस धरती का निर्माण देवता यूरा ने किया था? जवाब था नहीं। एक वक़्त ऐसा आएगा कि उनके बनाए जीव ही इस धरती के विनाश का कारण बनेंगे। ख़ूबसूरत-सी दुनिया, जिसे बनाने में उन्होंने हज़ारों साल लगा दिए – वीरान हो जाएगी; रहेगी तो सिर्फ़ एक बंजर धरती, जिसकी साँसें रुक चुकी होगी और ख़ामोशी का साया छाया हुआ होगा चारों तरफ़!!! रौशनी के होते हुए भी अंधकार की जंजीर पूरी धरती को जकड़ी हुई होगी। कोई नहीं जानता इस धरती का अंत कैसे होगा पर वे जान चुके थे, क्योंकि वे इस ब्रह्मांड के रचयिता है। उन्होंने इस धरती को बड़ी बारीकियों से बनाया है और वे कभी नहीं चाहेंगे कि इसका कभी अंत हो। तब देवताओं की एक सभा बैठी और एक दिव्य किताब की रचना की गयी। जिसे बनाने में बारह दिन लग गये। वो वक़्त इंसानों के लिए बारह-सौ सालों के बराबर थे क्योंकि देवताओं का एक दिन इंसानों के सौ-साल के बराबर होता है। वो कोई आम किताब नहीं थी, वो एक ऐसी किताब थी जिसके भीतर दुनिया के तमाम जीवों की कमज़ोरी छुपी थी और धरती में जान फूँकने से पहले ही उसे धरती के गर्भ में छुपा दिया गया ताकि बुरे दौर से जब ये धरती गुज़रेगी, जब सारे जीव-जन्तु और इंसान नापाक हो जायेंगे तब उस किताब की मदद से इस धरती का पुनः निर्माण किया जाएगा लेकिन अगर वक़्त से पहले वो किताब किसी के भी हाथों में लग गयी तो वो किताब ये परवाह नहीं करेगी कि कौन पाक है और कौन नापाक; वो अपने सारे रहस्य निष्पक्ष रूप से उसके सामने खोलकर रख देगी। लेकिन कहते है न रहस्य कभी रहस्य नहीं रहता………”