न्याय की आँखें नहीं , अपितु कान होते हैं वह दोनों पक्षों को सुनकर अपने विवेक से निर्णय सुनाता है , पर यदि न्यायाधीश के आँख और कान दोनों हों और घटना भी उसी के साथ की हो फिर भी वह दूसरे पक्ष को बिना सुने राज्य से निष्काषित कर दे तो न्याय को क्या कहेंगे ? पौराणिक, धार्मिक, आध्यात्मिक पृष्ठभूमि पर आधारित नारी प्रधान कथानक में नारी की स्थिति ,चित्रण, पीड़ा और उसके समाधान ढूँढने का प्रयास है l