युग कोई भी रहा हो नारी की स्थिति बराबर की कह कर उसका शोषण ही हुआ है l पुरुषों को अधिकार है कि वह बहु विवाह कर सकता है लेकिन नारी नहीं , यदि उसके साथ बलात्कार हुआ हो तो दोष नारी का ही माना गया और उसे दण्डित भी किया गया l इस ओर समाज का ध्यान आकर्षित करने के लिए पौराणिक पात्र ‘अहल्या’ को लेकर ‘नारी चेतना’ में विचार किया गया हैl नारी की अंतर्व्यथा पर चिन्तन, मनन और समाधान ढूँढने का प्रयास किया गया है l