विमाता के प्रणय प्रेम के अस्वीकार करने का दण्ड सम्राट अशोक के पुत्र कुणाल को गरम सलाखों से अपने नेत्रों को खो कर भोगना पड़ा l ऐतहासिक प्रष्ठभूमि पर आधारित सत्य घटना है, खण्ड काव्य “कुणाल,ऐक अप्रतिम त्याग” l “नेत्र दिये पर नहीं डिगा,शाशक अशोक का धन्य लाल था, प्रणय प्रेम वात्सल्य रूप में, बदल दिया ऐसा कुणाल था”