बोद्ध काल में अंगुलिमाल एक डाकू था, लेकिन महात्मा बुद्ध ने अपने वार्तालाप के प्रभाव से उसका ह्रदय परिवर्तन किया, और दस्यु प्रकृति से छुटकारा दिलाया l उसी भाव को सामने रख कर आजकल दस्यु समस्या से छुटकारा न मिलने के कारण और उसके समाधान प्रस्तुत करने की दिशा में प्रयास है l हम पापी से नहीं, पाप से घ्रणा करें यह ही स्वीकारें, अपराधी को भय से नहीं, प्रेम से बदलें तथा संवारें शासन में जो भी बैठें हैं, उनसे मेरा नम्र निवेदन, आत्म समर्पण के पहिले हम, दस्यु ह्रदय के ही बदलें मन