“नहीं पापा ऐसा बिल्कुल मत करना। मेरे साथ मेरा बच्चा भी मर जाएगा। मेरा बेटा इस संसार में आना चाहता है। आपको पाप लगेगा।” वह चीख पड़ी पूरी शक्ति से।
“ला, आज तेरी गर्दन दबाकर तुझे और तेरे बच्चे को यहीं खत्म किए देता हूं मैं।”
श्रवण ने गुस्से में उसका गला दबोच लिया।
“अरे हटो यार, पागल हो गए हो तुम भी। उसका दिमाग तो वैसे भी असन्तुलित हो चुका है और उससे कहीं अधिक सन्तुलन तुम लोग खो बैठे हो।”
अचल ने श्रवण को पूरी ताकत से खींचकर उसकी गर्दन छुड़ाई।
“अचल, मैं पागल नहीं हूं। मुझे यहां से ले चलो। मैं सचमुच गर्भवती हूं। मेरे बच्चे को बचा लो अचल।” वह दया की भीख मांग रही थी।