भाषा दो प्रकार की होती है । पहली जो शब्दों के माध्यम से अभिव्यक्त होती है । यह सरल और आसानी से समझ में आ जाती है । दूसरी भाषा वह है जिसमें हमारे शरीर के अंग चेतन और अवचेतन दोनों स्थितियों में अभिव्यक्त करते है । इस भाषा में प्रतीकों और निहितार्थों का भरपूर प्रयोग होता है । इसे समझने के लिए मनोविज्ञान की जरूरत पड़ती है । यह समझ में आ जाए तो मानवीय संबंधों को बेहतर बनाया जा सकता है । यह पुस्तक आपको इस भाषा को पढ़ने, समझने और इस्तेमाल करने में मदद करेगी ।