हास्य लिखने के लिए पहले तो आपको हास्य समझना आना चाहिए फिर उसे शब्दों में ढालना आना चाहिए और मंच वाले को तो उसे सुनाना भी आना चाहिए और इन सबसे बढ़कर अगर अपने पर पड़े तो उसे बर्दाश्त करना भी आना चाहिए । प्रिय नीरज पुरी में यह गुण मौजूद हैं और जब तक यह गुण मौजूद हैं मैं समझता हूँ उसकी लेखनी से लगातार हास्य-व्यंग्य की धारा प्रवाहित होती रहेगी ।