मेरी कृति ‘‘एक चिट्ठी ईश्वर को’’ ईश्वर व मानव के संबंधों को समर्पित है। हम सब के अर्न्तमन में प्रायः ऐसे प्रश्न आते हैं जैसे - मानव जीवन का सत्य क्या है अर्थात हम कौन हैं? कहाँ सेw आयें हैं? क्यों आये हैं? हम धर्म-कर्म, जन्म-मरण, पाप-पुण्य, आस्तिक-नास्तिक की बात क्यों करते हैं? क्यों ईश्वर या अनजानी शक्ति को मानते हैं? मृत्यु के पश्चात क्या होता है? बचपन से बुढ़ापा क्यों आता है, ये शरीर जीर्ण शीर्ण क्यों हो जाता है आदि। इस तरह के प्रश्नों के उत्तर विभिन्न लोग, विभिन्न तरीकों से जानने की कोशिश करते हैं। कुछ साधु-सन्यासी बनकर, कुछ जादूगर-तांत्रिक बनकर, कुछ बौद्धिक-वैज्ञानिक बनकर व कुछ मात्र जीवन-यापन द्वारा ज्ञान अर्जित करते हैं।