पूछा प्यार से पास आकर भी अकेला है क्यों, फिर भी जीत जलजला बनकर बहाना बनाना यही तो फितरत है इन्सां की। ना चाहते हुए भी चाहतों का खाना खाली ही रहता, बार-बार कहने से भी क्या होता है। काश का काल जब आज पर मंडराता है तो मर-मरकर ही जीता है। जीना उसका हक है क्योंकि सांसों को रोकना उसके बस में नहीं। बेवजह दस्तक कोई देता नहीं, क्योंकि स्वीकृति कोई मांगता नहीं।