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प्रस्तुत पुस्तक में सन् साठ से लेकर आज तक की मेरी रचनाओं की, जैसी भी हैं, एक झलक मात्र है । समय के अंतराल और समाज के बदलते रंग-रूप को ध्यान में रखकर पाठक इन्हें पढ़ेंगे तो ये अवश्य उन्हें भाषा, विचार और छंद का आनंद देंगी ।