समकालीन उर्दू शायरी में बशीर बद्र एक ऐसे जगमगाते हुए नक्षत्र का नाम है, जिसने ग़ज़ल को आत्मसात् करके उसे एक नयी दीप्ति और आभा प्रदान की है। उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दोन जाने किस गली में ज़िन्दगी की शाम हो जाए।
जैसे अनेक कालजयी शे’रों के रचयिता बशीर बद्र अपनी निजी शैली और ज़बान की सादगी के कारण हिन्दी जगत में भी बेहद लोकप्रिय और सम्मानित हैं बशीर बद्र की ग़ज़लों का अनूठा संकलन।