शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को लेकर कई गलत धारणाएं हैं। उन्हीं में एक धारणा यह है कि वे अपनी इच्छा के विरुद्ध राजनीति में उतरने को मजबूर हुए लेकिन ऐसी अनेकों घटनाएं हैं जो इस धारणा को झुठलाती हैं। और इसका प्रमुख कारण यही हो सकता है कि उनका व्यत्तिफ़गत जीवन और राजनीतिक व्यत्तिफ़त्व एकदम अलग है। आज भी वे अपने फोटोग्राफी और लेखन के शौक को पूरा करना नहीं भूलते। अपने लिखने के शौक रखने के कारण उद्धव ठाकरे की आधे से ज्यादा दर्जन किताबें छप चुकी हैं जिनमें 2010 में आई ‘महाराष्ट्र देश’ पुस्तक काफी प्रचलित है। यह सही है कि उद्धव शिवसेना के आक्रामक रुख के उलट शांत नजर आते हैं। लेकिन उन्हें करीब से जानने वाले लोगों का दावा है कि उद्धव मंझे हुए राजनेता हैं और बड़े ही सभ्य एवं शांतिपूर्ण ढंग से निर्णय लेने में माहिर हैं और उनके व्यत्तिफ़त्व को पार्टी के आला दर्जे के नेता काफी सम्मान देते हैं।