जब यह पुस्तक पूरी हुई, तब मैंने कुछ बच्चों के उन अभिभावकों को भी पढ़वाई, जो अपने बच्चों को अपने आप ही घर पर पढ़ा रहे थे। उन्होंने इस पुस्तक की न केवल तारीफ की, बल्कि कुछ महत्त्वपूर्ण सुझाव भी दिये तो मेरा हौसला बढ़ा।
हालांकि इस पुस्तक का वर्तमान और भविष्य तो पाठकगण ही तय करेंगे, फिर भी इस पुस्तक को पढ़कर यदि कुछ ऐसे बच्चों, जो किसी भी कारण से ट्यूशन नहीं पढ़ पा रहे हों, मार्गदर्शन नहीं ले पा रहे हों और अपने जीवन में एक सफल व्यक्ति बनकर अपनी, अपने समाज और देश की उन्नति करना चाहते हों, के पढ़ने के तरीके और नजरिये यानी दृष्टिकोण में सकारात्मक बदलाव आता है, तो मैं इस पुस्तक को लिखने में अपनी मेहनत, कामयाब या सफल समझूंगा।