प्रवीण शुक्ल ने इस सँग्रह के गीत लिखकर अपनी काव्य-प्रतिभा का जो नया स्वरूप प्रस्तुत किया है, उसे देखने के बाद मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ कह सकता हूँ कि उनके पास नया सोच, नया कथ्य, नया बिम्ब सभी कुछ अनूठा है ।
इसी गीत-संग्रह में गीतों के साथ-साथ ‘भीष्म-प्रतिज्ञा’ शीर्षक से एक लम्बी छंद-बद्ध कविता भी है । इस कविता में जैसा छंद-प्रवाह, विषयानुकूल और भावपूर्ण भाषा और जैसा विषय-प्रतिपादन हुआ है वह रेखांकित करने योग्य है ।