इस संग्रह में पैंसठ हास्य-व्यंग्य कवितायें हैं। एक वरिष्ठ प्राध्यापक के जीवन के संचित अनुभवों की पूंजी है और साथ ही नये विषयों पर किये गये प्रयोग भी।
संग्रह में कई कविताएं तात्कालिक घटनाओं पर लिखी गयी हैं, पर उससे उनका महत्त्व कम नहीं होता। क्योंकि आज ऐसी मानवजन्य त्रासदी या प्राकृतिक आपदाओं का कोई अंत नहीं है।