‘सूफियाना दिल’ शीर्षक अपने आप ही ‘ज्ञानभिक्षु’ प्रेम भारद्वाज जी की रचनात्मक भावों की अभिव्यक्ति कर देता है कि इस पुस्तक में रचनाओं का जो सर्जन हुआ है ‘दिल से’ और जो ज्ञानभिक्षु’ जी के जीवन शैली का परिदर्पण है। उनको जानने वाले कह सकते हैं कि उनका सूफियाना अंदाजेबयां आज एक काव्यात्मक सर्जन में प्रदर्शित हुआ। ‘सूफियाना दिल’ में रचनाएं कविता, गज़ल का वह स्तर लिए हुए है जो आपको काव्यात्मक सरोवर में डुबोकर आपकी आत्मा की आवाज से आपको रूबरू कराएगा। ये कुछ शेर ‘सूफ़ियाना दिल’ से आपको पुस्तक की झलक दे देंगे।