शांतिपुरा दिल्ली के निम्न मध्यमवर्गीय लोगों के मोहल्ले की कहानी है जिसमें उनकी रोजमर्रा की जिंदगी की परेशानियों के बीच जगह बनाते उनके छोटे-छोटे सुख और बड़ी-बड़ी उम्मीदें हैं। उनके पास बड़ी-बड़ी सुविधाएं तो नहीं हैं पर उनके मेहनतकश जीवन में जूझने और पार लगने का जो जज्बा है वह अद्भुत है। उनकी जिजीविषा अदम्य है। उनके इस संघर्षमय जीवन के बीच ही चलती है एक परिवार की खूबसूरत कहानी जहाँ प्रेम है, विश्वास है, ख्वाहिशें हैं और दुःस्वप्नों से भरी कुछ रातें हैं जिनके बाद आशाओं का सुर्ख सूरज एक दिन कालिमा को सोंखकर उनकी सुबह को रोशन जरूर करेगा, शांतिपुरा इसी उम्मीद की कहानी है। इसी कहानी में इंदर और बानी के प्रेम की भी एक कहानी है जहाँ विपरीत परिस्थितियों में भी प्रेम का बिरवा न केवल फूटता है बल्कि आहिस्ता आहिस्ता परवान भी चढ़ता है। शांतिपुरा इस अनोखे प्रेम का खामोश गवाह भी है और साथी भी।