तुलसीदास ने अपने नीति वचनों को दोहों की शक्ल में ढालकर जनमानस में एक चेतना का संचार करने का प्रयास किया है बल्कि जीवन के विविध पहलुओं को उजागर कर धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग भी प्रशस्त किया है। हमने यही कारण है कि महाकवि तुलसी के जीवन परिचय का जिक्र करने के साथ-साथ दोहों को भी पर्याप्त स्थान दिया है। इसके अतिरिक्त रामचरित मानस के चुनिंदे दोहों और चौपाइयों को भी हमने इस पुस्तक में स्थान दिया है ताकि इस पुस्तक की गुणवता में और भी अधिक वृद्धि हो जाए और जनमानस को इसका पर्याप्त लाभ मिल सके।
तुलसी दास मूलतः रामभक्त थे और उन्होंने जो कुछ भी लिखा राम के विषय में ही लिखा। तुलसी एक कवि से पहले एक भक्त थे, जिससे राम को आधर बनकर नीति और धर्म परक रचनाएं लिखीं। इस पुस्तक में भी तुलसी ने राम के चरित्रा की विशालता, उदारता, दानशीलता और क्षमाशीलता का गुणगान किया है। दोहावली के विषय में बहुत कम लोग ही जानते हैं रामचरित मानस की तुलना में .....। इस तथ्य को ध्यान में रखकर ही हमने तुलसी कृत दोहावली की सरल भाषा में अनुवाद कर पाठकों के सामने प्रस्तुत किया है हमें पूरा विश्वास है कि यह पुस्तक सबको पसंद आएगी।