अमरकथा शिल्पी मुंशी प्रेमचंद ने इस नाटक में किसानों के संघर्ष का बहुत ही सजीव चित्रण किया हैं। इस नाटक में लेखक ने पाठको का ध्यान किसान की उन कुरीतियों और फिजूल-खर्चियो की ओर भी दिलाने की कोशिश की हैं। जिसके कारण वह सदा ही कर्ज के बोझ में दबा रहता हैं और जमींदारों व साहूकारों से लिए गए कर्ज़े का सूद चुकाने के लिए उसे अपनी फसल मजबूर होकर औने-पौने बेचैनी पड़ती हैं।