प्रबंधन में पोस्ट ग्रेजुएशन के पश्चात् कुछ वर्ष नौकरी, साथ-साथ ओशो कार्य! कालान्तर में नौकरी छोड़ पूर्णरूपेण ओशो कार्य एवं लेखन में संलग्न! अनेक पुस्तकों के अनुवाद व प्रकाशन ! गीत, नाटक, प्रहसन, शायरी, कथाएं इत्यादि लिखे। साथ ही साथ अभिनय एवं संगीत से गहराई से जुड़े ! कई राष्ट्रीय स्तर की नाट्य-प्रस्तुतियों का संपादन एवं संचालन !
वर्तमान में ओशो सर्किल फाउंडेशन के माध्यम से कार्यरत, ध्यान शिविरों व वर्कशॉप्स का संचालन! यह रचना ‘रेत की रबाब’ सूफियों की बेबूझ दुनियाँ को जाहिर करती दस्तावेज़ है। सदियों से बग़ावती इश्क़ का परचम उठाए ये दीवाने, आज भी रहस्य के परदे के पीछे से ही बोलते हैं। अरब के गर्म रेगिस्तानों में पैदा हुई इस रबाब के सुर कितने सुरीले हैं, इसी हकीकत को ज़ाहिर करती है - रेत की रबाब। सूफी फसानों पर लेखक की पकड़, जरूरी बातों की तफसील और मुलायम कलम पाठक को सूफियों के बहुत करीब ले आती है। सूफियों में प्रचलित किताब के उन्वान खुदा के निन्यानवे नामों की याद दिलाते हैं। शायद ‘रेत की रबाब’ से सूफियों के बारे में छाई धुंध कुछ और साफ हो सके।