आप कहते हैं गांधी बाबा ने कमाल किया,
बिना हिंसा, बिना खड्ग, बिना ढाल पाई है।
और पूँछता मैं, ये अहिंसा का समर्थन है,
या कि क्रान्तिकारियों की जड़ से सफाई है।।
कितने ही क्रांतिकारियों ने प्राण दान किये,
तब कहीं जाके ये आज़ादी घर आयी है।
प्रेम से, अहिंसा से या दान में मिली नहीं है,
लहू दे स्वतन्त्रता की कीमत चुकाई है।।
होता ना प्रतिरोध अगर, तो वाद-विवाद नहीं होता।
सिर्फ अहिंसा. . . .