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विश्व के महान उपन्यासकार रवीन्द्रनाथ टैगोर का यह उपन्यास एक ऐसे राजा की गाथा है जिन्होंने उस समय प्रचलित बलि प्रथा का विरोध किया। अपने राज्य में बलि प्रथा पर रोक लगाने के बाद उन्हें अपना ही राज्य छोड़ना पड़ा।