इस पुस्तक में मानव मन में उत्पन्न हुए प्रश्नों, शंकाओं, इच्छाओं, अरमानों, वेदनाओं, विडम्बनाओं, हर्ष और शोक के भावों को आकाशीय तारों के संकेतों से भविष्य के संदर्भ में क्या छुपा है यह दिखाने का प्रयास किया गया है । सूर्य, तारा, आकाश, पृथ्वी, चंद्र, मानव या महामानव इन सभी में मेरा स्थान क्या हो सकता है । कितना और कैसा हो सकता है? इसका माप-तोल करने के बाद आद्य ज्योतिषाचार्यों के इस विषय के ग्रंथों सूत्रों विश्लेषणों सूचनाओं और संकेतों का व्यावहारिक उपयोग करके जनहिताय इस पुस्तक का निर्माण किया गया । विवेक और विषय के सामर्थ्य की मर्यादाओं के अनुसार उसका उपयोग जातक अपने प्रश्नों के समाधान में कर सकते हैं ।