अगर अन्तःपुर में झांककर देखें तो कितनी घटनायें बाहर आने के लिये छटपटा रहीं हैं पर मानव उसके प्रति कितना उदासीन है। पर यही अन्तःपुर के नारी की भावनायें उसका प्यार, उसका रोष ही तो समाज में आमूल परिवर्तन लाता है और एक नया इतिहास रचता है। यह उपन्यास इसी बदलाव की ओर इंगित करता है, अब नारी जिंदगी अपनी शर्तों पर जियेगी।